उपन्यास >> अरण्य में सूरज अरण्य में सूरजडॉ. अजीत गुप्ता
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यह उपन्यास सोहना जैसे पात्र को लेकर जीवन में संघर्ष की कथा कहता है। जीवन में वह न सिर्फ स्वप्न देखता है, बल्कि असफल होने पर आत्मालोचना भी करता है।
सार्थक चरित्र को सही अर्थों में परिभाषित करता यह पात्र न सिर्फ अपनी असफलता के कारणों को परखता है, बल्कि नए सिरे से संघर्ष प्रारंभ कर अपने उद्देश्यों में सफलता भी हासिल करता है। गंगा की प्रेरणा उसके साथ रहती है और गुरु परमानंदजी उसे प्रोत्साहित कर उसके स्वाभिमान को जाग्रत करते हैं।
निरंतर संघर्ष की यह कथा सोहना को एक स्मरणीय चरित्र में परिवर्तित कर देती है। पुरातन प्रथाओं से उत्पन्न गलत जीवन-धाराओं के विरोध में उपजी यह कथा बताती है कि कैसे बालश्रम पहले जरूरत बनती है और फिर परिवार में सुविधा का रूप ले लेती है। यही क्रम फिर किस तरह जीवन में कड़वाहट घोल बैठता है, इसका प्रतीक है उपन्यास का पात्र किशन।
विगत और वर्तमान के बीच झूलती यह कथा इधर के काल्पनिक उपन्यासों के बीच अलग से पहचान बनाएगी। कथ्य की खोज की दृष्टि से यह उपन्यासकार की उपलब्धि है।
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